Rabindranath Tagore’s title “Kavivar” can be summarized as… let me translate it for you
कविवर रविंद्रनाथ ठाकुर के निबंध “कुटज के फूलों की अद्वितीयता” में नीवंधकार आचार्य हजारी प्रसाद द्रिवेदी ने आशोक के फूल ‘कुटज’ के बढ़ने के रहस्य को खोजा है। उन्होंने इस निबंध के माध्यम से कल्प लता को एक मानवीय संवेदना के प्रतीक के रूप में पेश किया है, जो हमें मानव जीवन की अद्वितीयता और सांस्कृतिक विशेषता की दृष्टि से देखने का आदान-प्रदान बताती है।
निबंध में आचार्य हजारी प्रसाद द्रिवेदी ने रविंद्रनाथ ठाकुर की कविता का मूल्यांकन किया है, जिसमें वे उनके व्यक्तित्व, विचार और कल्पना के पहलुओं को समझने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा, उन्होंने रविंद्रनाथ ठाकुर के बंगला भाषा में लेखन की महत्वपूर्णता पर भी प्रकाश डाला है, जिससे उनकी रचनाएं सामाजिक और सांस्कृतिक स्थान को बढ़ाती हैं।
आचार्य द्विवेदी ने रविंद्रनाथ ठाकुर के जीवन के समय का चित्रण करते हुए उनके जन्म समय, उनके आदर्शों और उनके योगदान की महत्वपूर्ण घटनाओं को समाहित किया है। यह निबंध एक संवेदनशील नीवंधकार के द्वारा रविंद्रनाथ ठाकुर के साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान को समझने के लिए एक अच्छा स्रोत प्रदान करता है।
वह द्वारकानाथ बाबुका पौत्र थे और देवेंद्र बाबू के पुत्र थे, लेकिन रविंद्र बाबू को अपनी माता का प्यार नहीं मिला था। इसके बावजूद, उन्हें बंगला में अपने कला और साहित्य के क्षेत्र में काफी सफलता मिली, जिसने उन्हें समाज में एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया। गीतांजलि में उन्हें नोबल प्राइज मिला, जिससे उनकी शौर्य और साहित्यिक प्रतिभा की मान्यता हुई।
रविंद्र बाबू एक महान पुरुष थे, जो सरस्वती के प्रति अपनी अद्वितीय आस्था और श्रद्धाभक्ति के क्षेत्र में महानता प्राप्त करने में सफल रहे। उनका बंगला में उच्च स्थान हासिल करना उनकी कला और साहित्य में उनके योगदान की प्रशंसा करता है, जो समृद्धि और समर्थन का स्रोत बना।
आचार्य हजारी त्रिवेदी के विचार से, रविंद्र बाबू के साहित्यिक योगदान ने देश और जाति को गर्वित किया है, जो अपने साहित्यिक सन्देश को समझने और मान्यता प्रदान करने के लिए समर्पित हैं। उनकी सरस्वती की पूजा ने उन्हें महान पुरुष बना दिया है, जो जातिवाद के बिना अपने देश के सम्मान में अपना योगदान दे रहे हैं।
रविंद्र बाबू ने शिक्षा की कमी के बावजूद अपनी साहित्यिक और शैलीष्ठता में उच्च स्थान प्राप्त किया और समृद्धि का स्रोत बना लिया। उनका जीवन प्रेरणा से भरा हुआ था और उनका योगदान हमें साहित्य और सांस्कृतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण सिख सिखाता है।
50 मार्क्स हिंदी महत्वपूर्ण प्रशन
1 . कविवर रविंद्रनाथ ठाकुर ‘ पाठ के लेखक। …… है ?
(A) महात्मा गाँधी
(B) हरिशंकर परसाई
(C) हजारी प्रसाद द्रिवेदी
(D) रामनरेश त्रिपाठी
2 . हिंदी उपन्यास का गौरव। ………
(A) माटी का मूरतें
(B) बाणभट की आत्मकथा
(C) लाल रेखा
(D) आम्रपली
3 . रविंद्रनाथ ठाकुर का जन्म। ……. हुआ
(A) 1872
(B) 1816
(C) 1868
(D) 1861
4 . रविंद्रनाथ ठाकुर। ……. के पिता थे
(A) मानवेन्द्र ठाकुर
(B) द्वारकानाथ ठाकुर
(C) देवेन्द्रनाथ ठाकुर
(D) रतिलाल ठाकुर
5 . रविंद्रनाथ शैक्षणिक डिग्री। …….
(A) बी.ए
(B) एम.ए
(C) मैट्रिक।
(D) शून
6 . रविंद्रनाथ ठाकुर मूलतः शिक्षा कहा से प्राप्त किए ?
(A) बंगाल में
(B) इंगलैंड
(C) दिल्ली
(D) घर पर
7 . किस उम्र में रविंद्रनाथ गध और पध ,दोनों ही अच्छी प्रकार लिखने लगे ?
(A) 14 वर्ष
(B) 15 वर्ष
(C) 16 वर्ष
(D) 17 वर्ष
8 . हिंदी उपन्यास का गौरव किसी कहा जाता है ?
(A) माटी की मूरत
(B) बाणभट की प्रेम कथा
(C) लाल रेखा
(D) आम्रपाली
9 . रविंद्र नाथ ठाकुर यूरोप ,अमरिका ,और जापान क्यों गए थे ?
(A) विदेश भृमण के लिए
(B) उच्च विद्यालय शिक्षा के लिए
(C) ज्ञान वृद्धि
(D) भाषण देने
10 . किस पाठ से आया है -‘मनुष्य के स्वभाव में बहुत संकीणर्ता और विरूपता है” ?
(A) ठिठुरता हुआ गणतंत्र
(B) कविवर रविंद्रनाथ ठाकुर
(C) मंगर
(D) गौरा
12TH EXAM
मंगर / Mongar
frequently asked questions
कविवर रविंद्रनाथ ठाकुर का जन्म कब हुआ था?
रविंद्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई 1861 को हुआ था।
रविंद्रनाथ ठाकुर का साहित्यिक योगदान क्या है?
रविंद्रनाथ ठाकुर ने कई कविताएं, कहानियाँ, नाटक, और गाने लिखे हैं, जिनसे उन्होंने भारतीय साहित्य को नया आयाम दिया।
रविंद्रनाथ ठाकुर को किस पुरस्कार से नवाजा गया?
रविंद्रनाथ ठाकुर को 1913 में उनके काव्य संग्रह “गीतांजलि” के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
रविंद्रनाथ ठाकुर का एक प्रसिद्ध नृत्य काव्य क्या है?
“चित्रांगदा” एक प्रसिद्ध नृत्य काव्य है जो रविंद्रनाथ ठाकुर ने रचा था।
रविंद्रनाथ ठाकुर का जीवनी का एक महत्वपूर्ण क्षण क्या था?
रविंद्रनाथ ठाकुर ने 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के खिलाफ अपनी क्षुब्धता को दिखाते हुए ब्रिटिश सारकार के साथ संबोधन किया था।
conclusion
समापन में, हमने देखा कि कविवर रविंद्रनाथ ठाकुर भारतीय साहित्य के अद्वितीय स्तम्भ थे जिनका योगदान आज भी हमारे समाज में महत्वपूर्ण है। उनकी रचनाएं न केवल कला और साहित्य में उच्चता का प्रतीक हैं, बल्कि उनके विचार और संदेश हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर सोचने के लिए प्रेरित करते हैं। रविंद्रनाथ ठाकुर ने भारतीय साहित्य को एक नए आयाम में ले कर गए और उनका योगदान आज भी हमारे दिलों में बसा हुआ है।