गौरा कहानी: पूरी कहानी का संक्षेप
गौरा: महादेवी वर्मा की कला में सानेह और प्रेम की सुंदरता
लिए राजी हो जाती है! गौरा का बनाया गया चित्र मानव समाज की अंध स्वार्थलिसपा की उजागर करता है, जहां एक निरक्षर प्राणी को उसकी मृत्यु की कोशिश की जाती है, ताकि दूध लाभ देने वाले जीव की देखभाल और उपयोग को उजागर किया जा सके।
गौरा की सुंदरता, आकर्षण, चाल, और साहचय के अंशों का विवेचन करते समय हम उसके सजीवता और उपयोगिता में समाहित आत्मा को देख सकते हैं। महादेवी वर्मा ने गौरा के माध्यम से मानव समाज की अंधता को जागरूक किया है, जहां व्यक्ति इतना स्वार्थ में डूबा हुआ है कि उसने दूध देने वाले निरक्षर प्राणी को उजागर करने की कोशिश की है, जिससे हमें एक महत्वपूर्ण साहित्यिक सन्देश मिलता है।
गौरा के व्यक्तिगत परिप्रेक्ष्य में देखते हैं, उसकी मिर्तु में व्यक्तिगत सवेंदनशीलता और मानवता की ऊँचाईयों का परिचय होता है। महादेवी वर्मा के कला में सुंदर प्राणी की रचना के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि सुन्दरता और उपयोगिता की सही मिश्रण से एक कला कृति कैसे उत्पन्न हो सकती है।
महादेवी वर्मा की कला में कमाल और गौरा की बनाई गई मूर्ति में सानेह और प्रेम का सुंदर संगम है, जो हमें मानव दया और समर्पण की महत्वपूर्णता को समझाता है। इस गाय के माध्यम से महादेवी वर्मा ने एक सुंदर कहानी का संगीत सुनाया है, जो हमें विश्वास, सानेह, और सहानुभूति के मूल्य को महसूस कराता है।
गौरा: एक सुंदर अभ्रक जैसा अद्वितीय बछड़ा
गौरा, एक सफेद चमकदार अभ्रक जैसा एक बछड़ा, ने अपना स्वागत अच्छी तरह से टिका लगाकर और आरती उतारकर किया गया! गौरागनी, जो गौरा नाम से प्रसिद्ध हो गई, गौरा न केवल देखने में सुंदर था, बल्कि उसका स्वभाव भी बहुत अच्छा था! अन्य पालतू पक्षी-पशु उसके साथ पीठ पर बैठकर उछलते-कूदते रहते थे!
गौरा की गौरवमयी मातृता और लालमणि का जन्म
एक वर्ष बाद, जब गौरा माता बनी और लालमणि का जन्म हुआ, तो उसका महत्व और बढ़ गया। वह प्रतिदिन बाहर से दूध लेती थी! गौरा की गौरवमयी मातृता ने उसे गाय माता का सबसे महत्वपूर्ण कार्य में संलग्न किया, जो उसे अपनी दूध से लालमणि को पोषित करने का कार्य सौंपा गया। गौरा की गौरवमयी मातृता ने उसे समझाया कि मातृत्व का साकारात्मक स्वरूप हमें अपने परिवार और समाज के प्रति उत्साही बनाए रखना चाहिए।
गौरा की चौंकाने वाली मृत्यु
अचानक एक दिन, जिसके पास से गवला दूध लेती थी, उस ग्वाल ने चुपचाप आराम से गुड़ में सुई मिलाकर गौरा को खिला दिया! इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने गौरा को मिर्तु में बदल दिया, जिससे महादेवी वर्मा के लिए यह एक कठिन दिन बन गया। गौरा की चौंकाने वाली मृत्यु ने उसके प्रशिक्षक को और उसके समृद्धि भरे जीवन को समाप्त कर दिया, जिससे एक दुःखद और गहरा संदेश मिलता है कि जीवन के हर क्षण को हमें महत्वपूर्णता देनी चाहिए।
महत्वपूर्ण: 50 मार्क्स हिंदी प्रश्न
गौरा (Lesson -2)
1 . गौरा क्या है ?
(A ) कविता
(B ) कहानी
(C) लेख
(D) उपन्यास
2 . गौरा किसकी रचना है ?
(A ) विमल कुमार
(B) महादेवी वर्मा
(C) प्रेमचंद्र
(D) रामबृक्ष बेनीपुरी
3 . महादेवी वर्मा का जन्म। ……… हुआ था ?
(A) 1907
(B) 1908
(C) 1909
(D) 1910
4 . महादेवी वर्मा का मिर्त्यु। …….. हुआ था ?
(A) 1987
(B) 1989
(C) 1990
(D) 1907
5 . आधुनिक युग की मीरा किन्हे कहते है ?
(A) महदेवी वर्मा
(B) सरोजनी नायडू
(C) सुवेर्दा कुमारी
(D) रविन्दा कुमार चौहान
6 . ……. महादेवी वर्मा की छोटी बहन है ?
(A) नीरजा
(B) रश्मि
(C) श्यामा
(D) गौरा
7 . लालमणि कौन था ?
(A) डॉक्टर
(B) गोवाला
(C) नौकर
(D) गौरा का बछड़ा
8 . गौरा की मिर्त्यु। …….. में हुई ?
(A) शाम
(B) रात
(C) दोपहर
(D) ब्रह्मुहुर्त
9 . गौरा की अस्बास्था का कारण उसे। …… खिलाना था ?
(A) जहर
(B) सुई
(C) सेव
(D) रोटी
10 . सुई की बात पता चलने पर कौन गयाब हो गया ?
(A) ग्वाला
(B) नौकर
(C) गौरा
(D) लालमणि
frequently asked questions
गौरा कौन है?
गौरा एक सुंदर अभ्रक जैसा अद्वितीय बछड़ा है जो महादेवी वर्मा की कहानी में प्रमुख पारंपरिक पालतू जीवन की कहानी में उजागर होता है।
गौरा की महत्वपूर्णता क्या है?
गौरा का कहानी में उजागर होना एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कार्य है जो मानव समाज की अंधता को जागरूक करता है और जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों की महत्वपूर्णता को साबित करता है।
गौरा की मृत्यु कैसे हुई?
गौरा की मृत्यु एक दुखद घटना थी, जिसमें उसे गुड़ में सुई मिलाकर खिला दिया गया, जिससे महादेवी वर्मा के लिए एक कठिन दिन आया।
गौरा की गौरवमयी मातृता की चरित्रिता कैसी है?
गौरा की गौरवमयी मातृता उसे गाय माता का सबसे महत्वपूर्ण कार्य में संलग्न करती है, जो उसे अपनी दूध से लालमणि को पोषित करने का कार्य सौंपती है।
गौरा की कहानी से क्या सिखा जा सकता है?
गौरा की कहानी से हमें जीवन के हर क्षण की महत्वपूर्णता, मानव समाज की अंधता का सामना करने की जरूरत, और साहित्य के माध्यम से समाज को जागरूक करने की महत्वपूर्णता सिखने को मिलती है।
conclusion
गौरा की कहानी हमें जीवन की महत्वपूर्णता, समाज की अंधता की आँधी से बचने की आवश्यकता, और साहित्य के माध्यम से समाज को जागरूक करने का संदेश देती है। गौरा की मृत्यु एक दुखद घटना है जो हमें यह बताती है कि हमें अपने जीवन के हर पल को महत्वपूर्णता देनी चाहिए और समाज में सुधार लाने के लिए एकजुट होना चाहिए। गौरा की महादेवी वर्मा द्वारा रचित कहानी हमें एक सच्चे साहित्यिक कृति की अद्भुतता में ले जाती है और हमें समझाती है कि कैसे शब्दों का सही उपयोग करके हम जीवन की सीख सीधे तौर पर हमारे दिलों तक पहुंचा सकते हैं।