पंच परमेश्वर: प्रेमचंद की अद्भुत कहानी
पंच परमेश्वर की कहानी प्रेमचंद द्वारा रची गई है, जो 1916 में लिखी गई थी। यह कहानी जुमन सेख और अलगू चौधरी की गहरी मित्रता पर आधारित है। दोनों में विश्वास था और वे दिनभर साझेदारी में रहते थे। एक बार, जुमन शेख ने अपने घर की देखभाल के लिए हज की यात्रा पर जाने का निर्णय लिया और अपनी मित्रता को अलगू चौधरी पर छोड़ दिया।
उनकी मित्रता में परस्पर विश्वास था, लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि इसमें दरारें आ गईं। बूढ़ी खला ने पंचायत बुलाई और जुमन की सेवा की नींव ठीक से नहीं रखी जा रही थी। जुमन की पत्नी करीमन ने तेज़ भाषा के साथ अपनी रोटियों के साथ कड़वी बातें करना शुरू कर दी और जुमन भी निष्ठुर हो गए। अब बूढ़ी खला को हर दिन ऐसी कड़वी बातें सुननी पड़ती थीं।
दूसरी ओर, जुमन का तर्क था – बूढ़ी खला को जिन्दा रखना अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा, “बूढ़ीया कितना जियेगी? तीन बीघा ऊसर देने के बाद मैंने मना कर दिया है। रोटी बघारी दाल के बिना नहीं बनती है। जो रुपया हमने दिया है, वह उनके पेट में झोक चुका है, और गाँव में हमने उतना ही मोल ले लिया है।”
बूढ़ी खला ने कहा, “तुम बिगाड़ा के डर से बातें नहीं कह सकते हो! अलगू बार-बार सोचता है कि क्या डर के चलते मान की बात न कहें!”
बूढ़ी खला की आवाज: पंचायत में दुःख की बातें, जुम्मन शेख को समाधान की दिशा में एक नया मोड़
बूढ़ी खला, अपनी बेबसी और बेवाईटी के साथ पंचायत में पहुंचती हैं और अपने दुःख की कड़ी बात करती हैं। “मुझे ना पेट की रोटी मिलती है, ना तन का कपड़ा! मैं बेबस बेवा हूँ! कचहरी-दरवार नहीं कर सकती! तुम्हारे सिवा और किसको अपना दुःख सुनाऊ?” उनकी आवाज पंचायत में गूंथी जाती है, और सभी उपस्थित लोगों को उनकी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इसके परिणामस्वरूप, पंचायत में हिब्बनामा को रद्द करने का फैसला होता है, जिससे बूढ़ी खला का दुःख और भी बढ़ जाता है। इसके बाद, जुम्मन शेख खुद को सनाटे में पाते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी मित्रता और सहानुभूति की आवश्यकता है।
कुछ समय बाद, एक और महत्वपूर्ण घटना होती है जिसमें जुम्मन शेख को भी एक नई अवसर मिलती है। अल्हु चौधरी और समझू साहू के बीच बढ़ रहे पंच बनने का विचार होता है। इससे जुम्मन शेख का ध्यान वहां जाता है और उन्हें समझते हैं कि यह एक नई जिम्मेदारी हो सकती है जो उन्हें समाज में और बढ़ावा देने का साधन बन सकती है।
बटेसर मेला: बैलों की कठिनाईयों से गुजरते हुए अल्हु चौधरी और समझू साहू का संघर्ष
बटेसर मेले में, सालगुइ चौधरी ने विशेष रूप से मजबूत बैलों की खोज में बढ़ावा देने का निर्णय लिया था। उन्होंने एक बड़े जोड़े को खरीदा, लेकिन दुखद तौर पर, एक बैल मर गया। इस अप्रत्याशित घटना ने सभी को चौंका दिया और सबको यह सोचने पर मजबूर किया कि अब इस समस्या का समाधान कैसे होगा।
इसके पश्चात, अल्हु, जो बैल के स्वामी थे, ने निर्णय लिया कि उसे बेचना होगा। और यह कार्रवाई समझू साहू के हाथों होती है। साहू ने बैल को बेगारी में ले लिया, लेकिन इसके साथ ही वह उस पर खूब पिटाई भी करता है और उसे खाने के लिए भरपूर चारा नहीं देता है। बैल सड़क पर गिरा हुआ है, जिससे उसकी स्थिति और भी कठिन हो जाती है।
वही रात, कई कठिनाईयों का सामना करते हुए, साहू ने अपने बाजुओं में रुपए हगिए, और साथ ही कनस्तर तेलों को भी नदारत कर दिया। इससे बैल की स्थिति में सुधार हुआ और उसे बचाने का एक नया साधन प्राप्त हुआ।
आखिरकार, साहू ने अलगू चौधरी को उठाया और उससे कहा, “न निहोड़ा ऐसा कुलछनी बैल देता है और न ही जन्मभर की कमाई लुटता है!” इससे यह स्पष्ट हुआ कि अच्छे विचार और साहस से आए गए समस्याओं का समाधान संभव हो सकता है।
हिंदी: 50 मार्क्स के महत्वपूर्ण प्रश्न
पंच परमेश्वेर
1 . पंच परमेश्वेर के लेखक कौन है ?
(A ) ध्यानचंद्र
(B ) प्रेमचंद्र
(C ) ज्ञानचंद्र
(D ) रामवृक्ष वेनपुरी
2 . मुंशी प्रेमचंद्र का जन्म कब व था ?
(A ) जुलाई 1882
(B ) 31 जुलाई 1885
(C ) 31 जुलाई 1880
(D) 31 जुलाई 1889
3 . जुम्मन शेख और। ……… में गाढ़ी मित्रता थी ?
(A ) बटेसर
(B ) प्रेम चंद्र
(C ) अलगू चौधरी
(D) रामधन
4 . ……… जुमन शेख के पिता थे ?
(A ) अब्दुल खदिर
(B ) जुमराती शेख
(C ) इब्राहिम
(B ) जमील शेख
5 .प्रेमचंद्र जी ने। ………… कितने कहानी लिखे ?
(A ) 100
(B ) 150
(C) 200
(D ) 300
6 . खुदा। …….. की जुबान से बोलता है ?
(A ) जुमन
(B ) पंच
(C ) अलगू
(D ) जुमराती
7 . हज करने ……… गया था ?
(A ) जुमराती
(B ) अलगू
(C ) जुमन
(D ) करीम
8 . ………. की मोहर ने खाला जान के होने वाली खातिरदारी पर भी मोहर लगा दिया ?
(A ) सत्य
(B ) न्याय
(C ) रजिस्ट्री
(D ) पंच
9 . एक दिन। …….. ने जुमन से कहा की उसके साथ अब निर्बाह नहीं होगा ?
(A) अलगू
(B) करीमन
(C ) खाला जान
(D ) जुमराती शेख
10. मित्रत्रा का मूल मन्त्र। …….. का मिलना है ?
(A ) कर्तव्य
(B ) इछाओ
(C ) कामनाओ
(D ) विचारो
frequently asked questions
पंच परमेश्वर क्या है?
पंच परमेश्वर प्रेमचंद की एक कहानी है जो मित्रता और विश्वास के बारे में है।
कहानी किस समय की है?
यह कहानी 1916 में लिखी गई थी और जुमन सेख और अलगू चौधरी की गहरी मित्रता के बारे में है।
कहानी के प्रमुख पात्र कौन-कौन हैं?
प्रमुख पात्रों में जुमन सेख, अलगू चौधरी, और उनकी बूढ़ी खला शामिल हैं, जो कहानी को रूमानी देते हैं।
कहानी में कौन-कौन से संदेश हैं?
कहानी में मित्रता, सच्चाई, और विश्वास के महत्वपूर्ण संदेश हैं।
पंच परमेश्वर के नामक कथा में कौन-कौन से संघर्ष हैं?
कहानी में जुमन और अलगू के बीच के संघर्ष, खोज, और समस्याओं के समाधान का चित्रण है।
conclusion
पंच परमेश्वर की कहानी ने हमें मित्रता और विश्वास के महत्वपूर्णीयात्रा पर ले जाया है। जुमन और अलगू की अद्वितीय मित्रता ने दिखाया कि जब तक हम आपस में विश्वास और समर्थन के साथ रहते हैं, हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। कहानी ने यह भी दिखाया है कि सच्ची मित्रता में धैर्य, समर्थन, और सहानुभूति होना बहुत महत्वपूर्ण है।
बूढ़ी खला और साहू के कार्यों से हमें यह सिखने को मिलता है कि दूसरों के साथ सहानुभूति और उनकी समस्याओं के प्रति सहानुभूति रखना हमें अच्छा इंसान बनाता है। कहानी ने उज्ज्वलता के साथ समाप्त होती है और हमें यह बताती है कि जीवन में सफलता का असली सूत्र ईमानदारी, समर्पण, और मित्रता में छिपा होता है।